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Wednesday 8 February 2017

तमिलनाडु में देखने लायक स्थान (tamil nadu best tourist place IN HINDI)

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तमिलनाडु पर्यटन
तमिलनाडु, बंगाल की खाड़ी के तट पर बसा खूबसूरत प्रदेश है। इसका इतिहास जहां समृद्धि से ओत-प्रोत है, वहीं वर्तमान में यह तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ता राज्य है।

तमिलनाडु का इतिहास 2000 साल से भी पुराना है। बहुत उतार-चढ़ाव से भरा हुआ इतिहास। इसने अपनी आंखों से अनेक राजवंशों को शिखर पर चढ़ते और नीचे आते देखा है, जैसेः चेर, चोल, पल्लव और पांड्या। हर शासकवंश के दौरान इस राज्य ने कुछ परंपराओं, रचनाओं को अपने में समेटा और समृद्ध होता रहा। राजवंश खत्म होते रहे और नए आते रहे। इस सब ने इस राज्य की सांस्कृतिक विरासत को और मजबूत ही किया।

वैश्विक पर्यटन के नक्शे में तमिलनाडु ने कुछ देरी से ध्यान खींचा। लेकिन अब यह पर्यटन का बड़ा केंद्र है। चेन्नई की यात्रा करें ताकि देख सकें कि समृद्ध प्राचीन इतिहास को कैसे शानदार वर्तमान का रूप दिया जा सकता है। बहुत-से लोग तमिलनाडु की यात्रा पर आते हैं ताकि यह देख सकें कि यहां के भव्य मंदिरों के हर पत्थर पर देवी-देवताओं और दंतकथाओं को कैसे जिंदा किया गया है। तमिलनाडु की यात्रा करें ताकि देख सकें कि महाबलीपुरम और कांचीपुरम में ऐसी क्या कारीगरी है कि पत्थरों से संगीत उपजता है।

डेमोग्राफिक्स
अक्षांशउत्तरी अक्षांश 8 5' और 13 35' के बीच में
देशांतरपूर्वी देशांतर 76 15' और 80 20' के बीच में
क्षेत्रफल130058 वर्ग किमी
जलवायुगर्मियां- गर्म
सर्दियां- ठंडी
अधिकतम तापमान42.8°सेल्सियस
न्यूनतम तापमान4.6° सेल्सियस
औसत सालाना बारिश 100 सेंमी
राजधानी चेन्नई
आबादी62405679
भाषाएंहिंदी, अंग्रेजी, तमिल
धर्महिंदू, क्रिश्चियन, इस्लाम और अन्य
यात्रा के लिए श्रेष्ठ समयअक्टूबर से मार्च
कपड़ेगर्मियां- हल्का सूती
सर्दियां- ऊनी

                                            तमिलनाडु में मंदिर

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तमिलनाडु के भव्य मंदिर इसके शानदार इतिहास और बीती शताब्दियों की बेमिसाल स्थापत्य कला की गवाही देते हैं। चोल, पल्लव, पांड्या और नायक राजवंश ने तमिलनाडु के अनेक मंदिरों पर अपने जमाने की रचनात्मकता, स्थापत्य कला और कुशल कारीगरी की निशानी छोड़ी है। भगवान वेंकटेश, विनायक और शिव, मुरुगन और विष्णु से लेकर अनेक देवताओं और देवियों की अद्भुत मूर्तियां ऐतिहासिक विरासत को आगे बढ़ाती हैं। तमिलनाडु में प्रागैतिहासिक काल से लेकर 20वीं शताब्दी तक के मंदिरों में अपने-अपने काल की स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ स्वरूप सामने आता है। कला, संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं को आधार बनाकर तमिलनाडु के प्राचीन शासकों ने मूर्तियों और मंदिरों की लंबी और अतुलनीय शृंखला तैयार की, जो अब हमारी महान विरासत है।

इन सभी मंदिरों की एक विशेषता सबको आपस में जोड़ती है। वह है सबमें गोपुरम का होना। सातवीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक बने सभी मंदिरों में गोपुरम जरूर होता है। शुरुआत में ये गोपुरम ईंट-गारे से बनते थे। ये मंदिर दुनियाभर में अपने भव्य स्तंभों, विशाल आकार और रंगबिरंगे व नक्काशीदार प्रवेश द्वार के लिए जाने जाते हैं। 

                                                              तमिलनाडु के समुद्री तट

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तमिलनाडु के समुद्री तट राज्य के पर्यटन के प्रमुख आकर्षण हैं। इनके चलते ही यह भारत के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक है। दक्षिण भारत के सर्वश्रेष्ठ समुद्री तटों में से कुछ तमिलनाडु में ही हैं। यह अपनी तरह के खास हैं। ये सभी बीच धूप स्नान, विश्राम और जलीय खेलों जैसी गतिविधियों के लिए आदर्श हैं। चेन्नई से कुछ ही दूरी पर स्थित कोवलोंग उन लोगों के लिए छुट्टियां मनाने का आदर्श स्थान है, जो कम समय में ज्यादा से ज्यादा आनंद चाहते हैं। कोवलोंग बीच बेहद सुंदर जगह है, जिसके किनारे ताड़ और नारियल के पेड़ लाइन से खड़े हैं। हरियाली ओढ़े यह बीच वाटर स्पोर्ट्स का शानदार अवसर उपलब्ध कराता है ताकि पर्यटक अपनी स्पोर्टिंग क्षमता का सही अंदाजा लगा सकें।

                                               वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान

                               
सांस्कृतिक रूप से अति समृद्ध तमिलनाडु की एक और विशेषता यहां की विविधता भरी प्राकृतिक खूबसूरती है। वन्यजीव अभयारण्य टूर पर्यटकों को हमेशा ही लुभाते हैं। तमिलनाडु के अभयारण्य दक्षिण भारत में सर्वश्रेष्ठ माने जा सकते हैं। प्रकृति ने तमिलनाडु को अनगिनत दर्शनीय स्थलों से नवाजा है। राज्य की सीमा 1,30,058 वर्ग किमी. तक पसरी हुई है। इसमें से 17.6 फीसदी इलाका जंगलों से घिरा है। इन जंगलों में मैदानी भाग कम ही हैं। राज्य के अधिकतर जंगली इलाके पर्वतीय या पश्चिम घाट में हैं। इन जंगलों को भी दो तरह से विभाजित किया जा सकता है, पहला वह जो काफी नम है और दूसरा जो काफी शुष्क है। कुछ जंगल सदाबहार पेड़ों के हैं तो कुछ पतझड़ वाले हैं। इस कारण यहां जैव विविधता का दायरा बड़ा हो जाता है, जो पर्यटकों को लुभाने में कारगर साबित होता है।

                                                              तमिलनाडु में होटल
                               
तमिलनाडु में पांच सितारा से लेकर साधारण स्तर के सभी तरह के होटल हैं। इससे यहां पर्यटन पर आने वाले लोगों को होटलों में विविधता मिल जाती है। यहां रिजॉर्ट, रेस्टोरेंट और कैफे बड़ी संख्या में हैं, जो यात्रियों की सुविधा का ख्याल रखते हैं। भारतीय प्रायद्वीप के 29 राज्यों में तमिलनाडु दक्षिणी छोर में बसा है। इसकी सीमा केरल, सीमांध्र, कर्नाटक, पॉन्डिचेरी से मिलती है। उत्तर-पूर्व में यह पूर्वी घाट और दक्षिण में मन्नार की खाड़ी से घिरा है। नीलगिरि, पलक्कड और अनामलाई की पहाड़ियां तमिलनाडु के पश्चिम में सीमा बनाती हैं। दक्षिण में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। चेन्नई तमिलनाडु की राजधानी है और सबसे बड़ा शहर भी है।

                                                            तमिलनाडु कैसे पहुंचें
तमिलनाडु में मंदिरों, ऐतिहासिक इमारतों, बीच, हिल स्टेशनों और वन्य जीव अभयारण्य का शानदार सम्मिश्रण है। भव्य मंदिर जहां इसकी धार्मिक विरासत को संजोए हुए हैं। वहीं, सदियों पुराने किले और अन्य प्राचीन इमारतें भारत के समृद्ध इतिहास और प्राचीन स्थापत्यकला की गवाही देते हैं। शांत हिल स्टेशन और इठलाते हुए खूबसूरत बीच आपकी छुट्टियां यादगार बनाने का भरोसा दिलाते हैं।

लब्बोलुआब यह है कि तमिलनाडु के आकर्षण को नजरअंदाज करना बहुत मुश्किल है। तमिलनाडु कैसे पहुंचें का विषयवस्तु आपको इस खूबसूरत राज्य तक पहुंचने और घूमने में मदद करता है।

                                                              हवाई मार्ग से
तमिलनाडु में चेन्नई के पास अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा है। यह इस राज्य में आने के लिए सबसे सुविधाजनक माध्यम है। श्रीलंका, दुबई, जर्मनी, जकार्ता, मलेशिया, इंग्लैंड, मालदीव, सऊदी अरब और सिंगापुर से चेन्नई के लिए नियमित अंतराल में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें हैं। इसके अलावा आप देश के किसी भी हिस्से से हवाई यात्रा कर तमिलनाडु आ सकते हैं। इसके लिए सरकारी और निजी कंपनियों की कई उड़ानें हैं।

                                                               रेल मार्ग से
तमिलनाडु का मुख्य रेलवे स्टेशन चेन्नई है। देश के अन्य प्रमुख स्टेशनों से चेन्नई के लिए कई गाड़ियां चलती हैं।

                                                               सड़क मार्ग से
तमिलनाडु में सड़कों का व्यापक जाल बिछा है। राज्य से अनेक नेशनल हाइवे गुजरते हैं। स्टेट हाइवे की सड़कें भी खूब हैं। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और बेंगलुरू समेत देश के सभी प्रमुख शहर सड़क मार्ग के जरिये तमिलनाडु के चेन्नई और प्रमुख शहरों से जुड़े हुए हैं। तमिलनाडु स्टेट टांसपोर्ट कॉरपोरेशन (टीएनएसटीसी) की बसें पूरे राज्य में दौड़ने के अलावा आपको पड़ोसी राज्य तक भी लाती-ले जाती हैं।

                                                       तमिलनाडु में खरीदारी
वास्तव में तमिलनाडु में खरीदारी का अनुभव बेहद खुशनुमा और यादगार हो सकता है। दक्षिण का यह राज्य शिल्प और क्राफ्ट कला में अत्यंत समृद्ध है। तमिलनाडु से खरीदारी के लिए सबसे लोकप्रिय वस्तु सिल्क की साड़ियां हैं। तंजावुर, कोयंबटूर और कांचीपुरम सिल्क की अपनी साड़ियों के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। महाबलीपुरम से आप पत्थर की खूबसूरत मूर्तियां खरीद सकते हैं।

तमिलनाडु से खरीदारी करने के लिए दूसरी सबसे महत्वपूर्ण वस्तु वाद्ययंत्र हैं। खासकर यहां शास्त्रीय संगीत से जुड़े उच्चकोटि के वाद्ययंत्र मिलते हैं। पीतल और कांसे में ढली मूर्तियां और शिल्प भी आपको खरीदारी के लिए ललचाएंगे।

                                               तमिलनाडु में घूमने लायक जगहें
तमिलनाडु भारत का दक्षिणी राज्य है। यह राज्य खूबसूरत और रोमांचक पर्यटन स्थलों का खजाना है। यहां की अनगिनत रोमांचकारी वादियां, शानदार समुद्री तट, शांत हिल स्टेशन, वन्यजीव अभयारण्य, भव्य मंदिर और हरे-भरे ऊंचे पहाड़ पर्यटन के लिए लुभाते हैं।

तमिलनाडु में देखने लायक स्थान

                                                                  वेलनकन्नी
                           वेलनकन्नी
वेलनकन्नी बंगाल की खाड़ी में छोटा-सा टापू है। यह तमिलनाडु में नागापट्टिनम से 14 किमी. की दूरी पर है। यहां स्वास्थ्य की देवी मरियम को समर्पित भव्य गिरजाघर है। यह ईसाईयों के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। सिर्फ देश ही नहीं, दुनियाभर से और विभिन्न जाति-धर्म के लोग यहां आते हैं। इस अति सुंदर गिरजाघर का निर्माण पुर्तगाली और भारतीय स्थापत्य कला का नमूना है। इस गिरजाघर के चमत्कार और रहस्य से जुड़ी अनेक दंतकथाएं यहां प्रचलित हैं। खासकर, रोग ठीक होने की चमत्कारिक कहानियां। यह भी मान्यता है कि यहां आकर आप जो भी मांगते हैं, वह मुराद पूरी होती है। गिरजाघर की दीवारों पर बाइबिल से संबंधित शानदार चित्रकारी देखी जा सकती है। सैकड़ों साल पुराने इस गिरजाघर की विशेषता यह भी है कि यहां हिंदुओं की कई परंपराओं को मानने की इजाजत दी गई है। यहां आने पर आप हिंदुओं को मुंडन और कर्णछेदन के संस्कार करते देख सकते हैं।

                                                                   वेदरनयम
                                 

वेदरनयम को तिरुमरैक्काडु के नाम से भी जाना जाता है। वेदरनयम आजादी की लड़ाई के दौरान सी. राजगोपालाचारी की नमक यात्रा और गांधीजी की दांडी यात्रा का गवाह भी रहा है। यह नागापट्टिनम से 55 किमी. दूरी पर है और अपने वेदरनयमेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

                                                                 कोडिकराई

कोडिकराई समुद्र किनारे बसा छोटा लेकिन लोकप्रिय शहर है। यह नागापट्टिनम से 66 किमी. और वेदरनयम से 11 किमी. दक्षिण में स्थित है। कोडिकराई अपने पॉइंट कैलीमेयर के लिए मशहूर है। यहां जंगली जानवरों और प्रवासी पक्षियों का अभयारण्य है। कारोमंडल तट पर स्थित इस अभयारण्य में रूस, साइबेरिया, ईरान, ऑस्टेलिया और हिमालय से पक्षी आते हैं। इन पक्षियों में फ्लेमिंगो, इबिसेस, वुडकॉक, स्पूनबिल, हॉर्नबिल, बगुले, स्टॉक्र्स, विलो वार्बलर, खंजन और जंगली बतख शामिल हैं। यहां एक बहुत पुराना लाइटहाउस भी है। हिंदू मान्यता है कि कोडिकराई में भगवान राम के चिह्न हैं, जिसे रामार पाथम कहा जाता है।

                                                                   तिरुनलार
तिरुनलार, कराईकल से 5 किमी. दूरी पर स्थित है। यह भगवान शनीश्वरा के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

                                                                   तिरुनवेली
तमिलनाडु के तिरुनवेली या नेल्लाई का इतिहास 2000 साल से भी पुराना है। यह ताम्रपर्णी नदी के पश्चिमी छोर पर बसा है। तिरुनवेली पहले कभी पांड्या कालीन राज्य की राजधानी थी। इसका नाम कांतिमथी नेल्लैयापार शिव मंदिर पर पड़ा है।

                                             मुंडनथुरई-कलकड वन्यजीव अभयारण्य
मुंडनथुरई-कलकड वन्यजीव अभयारण्य को 1988 में बाघ संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। यह अंबासमुंदरम (20 किमी.) और कलकड (15 किमी.) के बीच 817 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है। बाघ के अलावा यहां तेंदुआ, जंगली बिल्ली, ऊदबिलाव, भेड़िया, सियार जैसे जानवर पाए जाते हैं। इनके अलावा यह हाथी, भालू, जंगली भैंसे, हिरण, नीलगिरि जैसे जानवरों का सुरक्षित पनाहगाह है। जहरीले सांप, मगरमच्छ, पक्षियों की अनेक प्रजातियां भी इस अभयारण्य में बड़ी संख्या में मिलती हैं। ट्रैकिंग पर जाने के लिए यहां 24 अलग-अलग कुदरती और जोखिमभरे टैकिंग स्थल हैं। बाघ संरक्षित क्षेत्र पर्यटकों के लिए रोज सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुले रहता है। मुंडुनथुरई और थलयानई वन विश्राम गृह पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधा उपलब्ध कराते हैं।

                                                          जिला विज्ञान केंद्र
तिरुनवेली जिला विज्ञान केंद्र वैज्ञानिक तरीके से पढ़ाई का उत्कृष्ट और आदर्श उदाहरण है। यहां विज्ञान की पढ़ाई खोज और प्रयोग पर आधारित है। इस तरह यह विज्ञान की पढ़ाई को औरों से एक कदम आगे ले जाता है। रचनात्मक प्रतिभाओं को प्रेरित करने के लिए यहां विज्ञान से जुड़ी समुद्र पर तीन स्थायी और अर्धस्थायी गैलरी स्थापित की गई हैं। छह एकड़ इलाके में साइंस पार्क बनाया गया है। इसमें विज्ञान के प्रति जिज्ञासा बढ़ाने के लिए आविष्कार और प्रयोग से जुड़ी प्रदर्शनी लगाई गई हैं। यहां आकर आपको कई सवालों के जवाब खुद-ब-खुद मिल जाते हैं। इस केंद्र में प्लेटेनेरियम, एनिमेटेरयिम और ऑब्जरवेटरी की सुविधा भी है। जिला विज्ञान केंद्र जिले और आसपास चलित विज्ञान प्रदर्शनी, विज्ञान मेला, फिल्म शो, अस्थायी प्रदर्शनी, साइंस ड्रामा भी आयोजित करता है।

                                                    कूंठनकुलम पक्षी अभयारण्य
तिरुनवेली के दक्षिण में स्थित यह अभयारण्य बेहद लोकप्रिय है। यह प्रवासी पक्षियों के लिए तेजी से स्वर्ग की तरह विकसित हो रहा है। शीत ऋतु में यहां 35 प्रजातियों के पक्षी देखे जा सकते हैं।

                                                                 कोर्टल्लम
तिरुनवेली जिले में स्थित कोर्टल्लम का जलवायु अत्यंत सुहाना है और हेल्थ रिजॉर्ट के तौर पर मशहूर है। यह खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है। यह अपने जलप्रपात के लिए भी प्रसिद्ध है, जो आगे जाकर आठ भागों में विभाजित होता है। पर्यटक यहां आने पर इन जलप्रपातों मे जलक्रीड़ा का मोह नहीं छोड़ पाते। मान्यता है कि जलप्रपात के शीतल जल में नस, दिल और जोड़ संबंधी बीमारियां दूर करने करने के चमत्कारिक गुण हैं।

                                           स्वामी नेल्लैयापार कांतिमथि अंबल मंदिर

स्वामी नेल्लैयापार कांतिमथि अंबल मंदिर अपनी संगीतमय आवाज के लिए प्रसिद्ध है। मणि मंडपम के इस मंदिर के स्तंभों को जब भी थोड़ा सा धक्का दिया जाता है तो घंटियों की सुरीली आवाजें आती हैं। हजारों स्तंभ वाले सोमवारा मंडपम, वसंत मंडपम और ताम्रसभा का निर्माण सातवीं शताब्दी का माना जाता है।

                                                            तिरुचिरापल्ली
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तिरुचिरापल्ली शहर को मदुरै के नायकवंश ने पवित्र कावेरी नदी के किनारे बसाया था। यह 146.90 वर्ग किमी. इलाके में फैला हुआ है। इतिहास में तिरुचिरापल्ली में चोल और पल्लव वंश का शासन मिलता है। लोग इसे त्रिचि के नाम से भी पुकारते हैं। यह अपने प्राचीन स्थापत्य कला के लिए भी मशहूर है। तमिलनाडु का यह शहर कांच की रंगीन चूड़ियों, कृत्रिम हीरों, सिगार, हथकरघा से बने वस्त्रों और लकड़ी व मिट्टी के खिलौनों के लिए भी खास पहचान रखता है।

                                                            रॉक फोर्ट
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रॉक फोर्ट शहर के भीतर ही 83 मीटर ऊंचे चट्टान पर ऐतिहासिक निर्माण है। यह चट्टान लाखों साल पुरानी बताई जाती है। इससे इसकी प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है। वैसे पर्यटकों का सबसे बड़़ा आकर्षण इस पर बना मंदिर है। भगवान गणेश का यह मंदिर उचि पिल्लयार मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां से शहर का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। मंदिर तक जाने के लिए 344 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। इस मंदिर का निर्माण 300 ईसा पूर्व माना जाता है।

                                                                   श्रीरंगम

श्रीरंगम तिरुचिरापल्ली से सात किलोमीटर दूर 600 एकड़ में फैला सुंदर-सा द्वीप है। तिरुचिरापल्ली जिले के अंतर्गत आने वाला यह स्थान भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में गिना जाता है। यह एक तरफ से कावेरी और दूसरी तरफ से कोलिदम नदियों से घिरा है। श्रीरंगम का पूरा कस्बा श्रीरंगनाथमस्वामी मंदिर की सात विशालकाय दीवारों से घिरा है। यहां 21 गोपुरम (गुंबद) हैं। इनमें से राजागोपुरम सबसे बड़ा है। यहां से मीलों दूर का दृश्य देखा जा सकता है।

तिरुवनैकवल या जम्बूकेश्वरा मंदिर
श्रीरंगम के नजदीक भगवान शिव का यह विशाल मंदिर है। यह अपने प्राचीन और उत्कर्ष स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। जामुन के प्राचीन पेड़ के नीचे स्थित शिवलिंग को अत्यंत पवित्र माना जाता है। माना जाता है कि देवी पार्वती ने कावेरी का थोड़ा सा जल लेकर यह शिवलिंग बनाया था और उसकी पूजा की थी।

                                                                       थेनी
थेनी तमिलनाडु का दक्षिणी शहर है, जो अपने दर्शनीय स्थलों और सुहाने जलवायु के लिए जाना जाता है। यहां के बांध, जलप्रपात और हरे-भरे प्राकृतिक दृश्य इसे अन्य पर्यटन स्थलों से अलग बनाते हैं। इसकी एक और खासियत इसका शांत वातावरण है, जो इसे भीड़भाड़ वाले और हलचलयुक्त पर्यटन स्थलों के मुकाबले मनमोहक बनाता है।

                                                                   वैगई बांध
111 फीट ऊंचे इस बांध में 71 फुट तक पानी भरा जाता है। यह सिल्वन से 14 किमी. दूरी पर लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है।

                                                            मवूथु वेल्लपर मंदिर
यह मंदिर आदिपति से 20 किमी. दूर वरुषानद की हरी-भरी पहाड़ी पर स्थित है। इसके परिसर में भगवान गणेश और सप्तकनिक्स का मंदिर भी है। आदि अमावस्या और थाई अमावस्या के दिन यहां भव्य उत्सव होता है। चितिराई के महीने में यहां वार्षिक मेला भी लगता है।

                                                                     देवदनपथि
देवदनपथि में मुख्य पूजा कामात्ची अम्मन मंदिर में होती है। यहां का गर्भगृह कभी नहीं खोला जाता है। पूजा सिर्फ प्रवेशद्वार की होती है। अनेक वाद्ययंत्रों के साथ शाम को होने वाली आरती के वक्त यहां का वातावरण अति सुंदर और पवित्रता के अहसास से सराबोर होता है।

                                                                     तंजावुर
तंजावुर तमिलनाडु के पूर्व में कावेरी नदी के डेल्टा पर 29.24 किमी. क्षेत्र में बसा है। इसे तंजौर के नाम से भी जाना जाता है। तंजावुर चोलवंश के शासनकाल में 10वीं से 14वीं शताब्दी के बीच सत्ता का बड़ा केंद्र था। विजयनगर, मराठा और ब्रिटिश काल में भी यह सत्ता संतुलन का केंद्र रहा था। तंजावुर अपने प्रशिक्षण केंद्रों और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां के हस्तशिल्प, कांसे से बनी चीजें और संगीत के सामान देशभर में मशूहर हैं।

                                                           श्री बृहदेश्वरा मंदिर
श्री बृहदेश्वरा मंदिर चोल शासनकाल की भव्य स्थापत्यकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। द्रविड़ शैली में इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में राजराजा चोल ने कराया था। 14 मंजिला इस मंदिर की ऊंचाई 216 फुट है। मंदिर के मुख्य स्थान का प्लिंथ 45.72 वर्ग फुट और गर्भगृह 30.48 वर्ग फुट है। श्री बृहदाश्वरा मंदिर वर्गाकार मंदिर है, जिसकी 60.98 मीटर ऊंचाई है। इसके ऊपर 339.5 किलो तांबे का कलश स्थापित है। 20 टन की विशालकाय नंदी बैल की प्रतिमा मंदिर परिसर में स्थापित है। यह प्रतिमा सिर्फ एक चट्टान से बनी है। इस विराट मंदिर के भीतर 7 मीटर ऊंचा शिवलिंग स्थापित है। मंदिर की भीतरी दीवार पर सुंदर चित्र उकेरे गए हैं। दीवारों और सीलिंग पर उत्कृष्ट मूर्तिकला भी देखी जा सकती है।

                                                                    महल
ईंट की दीवारों वाला यह खूबसरत महल दो राजवंशों के शासनकाल में बना। पहले इसे नायक वंश ने सन 1550 में बनाया और बाद में इसका कुछ हिस्सा मराठों ने पूरा किया। 15 फुट ऊंची दीवारों वाला यह महल 530 एकड़ में फैला हुआ है। महल के भीतर 190 फुट का आठ मंजिला शस्त्रागार है, जो पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है। महल के उत्तर में बना शस्त्रागार नायक वंश की स्थापत्यकला का श्रेष्ठ उदाहरण है। यहां एक घंटाघर भी है और इसे मराठा दरबार के समय का माना जाता है। मराठा शासन के समय की पेंटिंग भी इसमें मिलती है। महल में सरस्वती महल नाम का अलग हिस्सा है। यहां प्राचीन काल की हाथ से लिखी दुर्लभ पुस्तकें और शिल्प रखी गई हैं। आर्टगैलरी में चोलकालीन कांसे और ग्रेनाइट से बनी मूर्तियों को स्थान दिया गया है। इसी तरह संगीत महल नामक अलग हिस्सा है। यह शिल्प कौशल का उत्कृष्ट नमूना है। संगीत के लिए अलग से बनाया दरबार इस बात का सबूत है कि इतिहास में इसे कितना महत्व हासिल था। महल के बगीचे में श्वार्त्ज चर्च भी बना हुआ है।

                                                          तंजावुर चर्च
शहर के पोकरा स्टीट पर सैकड़ों साल पुराना अवर लेड ऑफ सारो चर्च है। यहां हर साल सितंबर के तीसरे सप्ताह में बड़ी धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है, जिसमें शामिल होने हजारों लोग दूर-दूर से आते हैं। पवित्र कैथेडल चर्च, सेंट पीटर्स चर्च, फोर्ट चर्च और लुथरन चर्च की धूमधाम यहां के धार्मिक सौहार्द की गवाही दते हैं।

                                                           पुडुकोटई
पुडुकोटई तमिलनाडु के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में से एक है। इस शहर का इतिहास 17वीं शताब्दी के बाद का है। शहर में पुरातात्विक महत्व की अनेक स्मारक हैं, जो पुडुकोटई राज्य की याद दिलाते हैं। शहर में अनेक भव्य मंदिर, तालाब और नहरें हैं जो इस राज्य के वैभवशाली इतिहास की कहानी कहते हैं।

पुडुकोटई तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 390 किमी. दूरी पर स्थित है। यहां रेल और बस दोनों ही मार्गों से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह शहर ऐतिहासिक विरासत का गवाह है और इसके कई स्मारक यहां अब भी हैं। भव्य मंदिरों के कारण यह धार्मिक महत्व की जगहों में भी प्रमुखता से अपनी जगह बनाता है।

                                                श्री ब्रैगधम्बल मंदिर
यह दक्षिण भारत के सबसे पुराने मंदिरों मंे से एक है। यह मंदिर भगवान गोकर्णेश्वर को समर्पित है। मंदिर की स्थापत्यकला बेहद शानदार है। सैकड़ों साल पुराने इस मंदिर में समय-समय पर सुधारकार्य और नए निर्माण होते रहे हैं।

                                             मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर
यह देवी मीनाक्षी को समर्पित मंदिर है। यह मंदिर ब्रैगधम्बल मंदिर के नजदीक है। मंदिर के पास ही पेरिया-कुलम कुंड है। पेरिया-कुलम कुंड के दक्षिणी हिस्से में भगवान गणेश की 16 रूप वाली प्रतिमाएं हैं। यह देश के सबसे भव्य मंदिरों में गिना जाता है।

                                                             चेन्नई
तमिलनाडु का चेन्नई भारत का चैथा बड़ा शहर है। यह भारत के दक्षिण पूर्वी तट पर स्थित है। चेन्नई को दक्षिण भारत का द्वार भी कहा जाता है। चेन्नई, पहला शहर था, जहां अंग्रेज मजबूती से स्थापित हुए। चेन्नई शहर परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत सम्मिश्रण है। शहर का बाहरी इलाका जहां आधुनिकता के साथ विस्तार ले रहा है, वहीं भीतरी इलाका आज भी पारंपरिक और धार्मिक विरासत समेटे हुए है। इस शहर पर ब्रिटिश प्रभाव आज भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।यहां की अनेक ऐतिहासिक इमारतें इंडो-यूरोपीय स्थापत्यकला की गवाह हैं। करीने से खड़े ऊंचे-ऊंचे पेड़ और पुराने गिरजाघर भी ब्रिटिशराज की याद दिलाते हैं।

चेन्नई, जो पहले मद्रास के नाम से जाना जाता था, 174 वर्ग किमी. के दायरे में फैला हुआ है। इस शहर की कुल आबादी 42.16 लाख है। वास्तव में इस शहर का विस्तार अंग्रेजों ने ही किया। यहां का सेंट जॉर्ज फोर्ट पहले अंग्रेजों की उपनिवेशिक गतिविधियों का केंद्र बना और फिर इसके चारों ओर शहर का विस्तार हुआ। कालांतर में आसपास के गांव इस शहर में समाते चले गए।

चेन्नई व्यापार का मुख्य केंद्र है और रेल, सड़क और वायु तीनों मार्गों से देश के सभी प्रमुख शहरों से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा है। कामराज नेशनल और अन्ना इंटरनेशनल हवाईअड्डे मुख्य शहर से 20 किमी. दूर तिरुसुलम में स्थित है। चेन्नई के मुख्य रेलवे स्टेशन इगमोर हैं। चेन्नई देश का प्रमुख बंदरगाह भी है।

कांचीपुरम, पांडिचेरी, बेंगलुरू, तिरुपति, वेल्लोर और मामल्लापुरम, चेन्नई के नजदीकी प्रमुख शहर हैं। चेन्नई इन सभी शहरों से सड़क मार्ग से शानदार तरीके से जुड़ा है।

तमिलनाडु के मुख्य स्मारक
तमिलनाडु में ऐतिहासिक स्मारकों की लंबी विरासत है। इनमें से प्रमुख ये हैः
  • भरतियार हाउस
  • मद्रास वार सेमेटरी
  • कामराज मेमोरियल हाउस
  • रिप्पन बिल्डिंग
  • सीनेट हाउस चेन्नई
  • वलुवर कोट्टम चेन्नई
  • विवेकानंद हाउस चेन्नई
  • तंजावुर महल, तंजौर
  • रॉक फोर्ट मंदिर, तिरुचिरापल्ली अयंतिका
  • पद्मनाभपुरम महल, कन्याकुमारी
  • ओर्टलैंड
  • सिवगंगा महल

ये सभी तटीय पर्यटन के आदर्श स्थल हैं। ये सभी दर्शकों को रोमांचित होने के अनेक मौके उपलब्ध कराते हैं। एडवेंचरस स्पोर्ट्स से लेकर मनोरंजक गतिविधियां जैसे पैराग्लाइडिंग, सनबाथिंग, स्वीमिंग, सर्फिंग और पैरासेलिंग की सुविधा यहां हमेशा मौजूद रहती है।

तमिलनाडु के मुख्य हिल स्टेशन
तमिलनाडु अपने हिल स्टेशनों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें से प्रमुख ये हैं:
  • ऊटी हिल स्टेशन
  • कोटागिरि हिल स्टेशन
  • कुन्नूर
  • कोडईकनाल हिल स्टेशन
  • येरकॉड हिल स्टेशन
  • उद्गमनदलम हिल स्टेशन
  • येलगिरि हिल स्टेशन

ये हिल स्टेशन ऐसे हैं कि आपको अपना दीवाना बना देंगे। ऊटी को हिल स्टेशनों की रानी कहा जाता है। यह सभी हिल स्टेशनों में सबसे सुरम्य है, जैसे किसी चित्रकार की रचना हो। कोडईकनाल, मदुरै से 120 किमी दूर है। यह अपने हरे-भरे जंगलों और खूबसूरत झीलों के चलते पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण है।

केरल में देखने लायक स्थान

केरल में देखने लायक स्थान

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केरल में यात्रा करने के स्थान
केरल को ‘गाॅडस् ओन कंट्री’ भी कहा जाता है और यह सबसे पसंदीदा और लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। दुनिया भर से बड़ी तादाद में लोग केरल के इस खूबसूरत राज्य को देखने आते हैं। शांत समुद्र तट, सुहावना मौसम, हरे भरे हिल स्टेशन, दूर तक फैले बैकवाॅटर और आकर्षक वन्य जीवन इस धरती के आकर्षणों में से हैं। नेशनल ज्योग्राफिक ट्रेवलर मैगजीन के अनुसार केरल ‘दुनिया के टाॅप दस पैराडाइज़’ और ‘50 प्लेसेस आॅफ लाइफटाइम’ में से एक है।

केरल में देखने लायक जगहें



केरल बैकवाॅटर

केरल में कुछ बहुत शानदार वाॅटरवे, खाडि़यां, झीलें, नहरें, नदियां आदि हैं। यहां पानी का इतना बड़ा इंटरलाॅकिंग नेटवर्क है कि हाउसबोट से आराम से यात्रा की जा सकती है। केरल के बैकवाॅटर में आपको कुछ सबसे खूबसूरत और दुर्लभ प्रजाति का जलीय जीवन मिलेगा, जैसे मेंढक से लेकर कंेकड़े, मडस्कीपर, किंगफिशर, जलकाग, डार्टर और कछुए और कोर्टर तक। बैकवाॅटर के किनारे लगे पत्तेदार पौधे, झाडि़यां, खजूर के पेड़ पूरे माहौल में हरियाली भर देते हैं। कुछ सबसे खूबसूरत केरल बैकवाॅटर जो आप देख सकते हैं उनमें कोल्लम बैकवाॅटर, अल्लेप्पी बैकवाॅटर, कोझीकोड बैकवाॅटर, कोचीन बैकवाॅटर, कासरगोड बैकवाॅटर आदि हैं।
  • कैनोइंग
  • कटमरैन सैलिंग
  • क्याकिंग
  • पैरा सैलिंग
  • स्कूबा डायविंग
  • स्नोर्कलिंग
  • विंड सर्फिंग

केरल के हिल स्टेशन

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केरल की इस सुंदर धरती पर बड़ी संख्या में खूबसूरत हिल स्टेशन हैं जो कि केरल की अपील को और बढ़ाते हैं। यदि आपको शहर की भागदौड़ से दूर एक ब्रेक की जरुरत है तो आप केरल के ये सुंदर पर्वत देख सकते हैं। यहां के कुछ खूबसूरत हिल स्टेशनों में से कुछ हैं - मुन्नार, रानीपुरम, देवीकुलम, पोनमुडी, इडुक्की, पायथल माला। इन जगहों की लुभावनी हरियानी देखने लायक है।
  • मुन्नार
  • वायनाड
  • देवीकुलम
  • पोनमुडी
  • नैलियम्पथ्थी
  • पीरमेड

केरल के समुद्र तट

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यदि आप एक बीच लवर हैं तो फिर तो आपका केरल आना जरुरी है। यहां आपको हर तरह के समुद्र तट मिलेंगे, जैसे रेतीले, नारियल, चट्टानी या प्रामन्टोरी। समुद्र के साफ नीले पानी के अलावा यहां आपको कई तरी के सीफूड व्यंजन भी मिलेंगे जो आपकी छुट्टियों को यादगार बना देंगे। केरल के समुद्र तट दुनिया भर के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां के कुछ मशहूर समुद्र तट हैं - चेराई बीच, बेकल बीच, कप्पड बीच, कोवलम बीच, धरमदम बीच, फोर्ट कोच्ची बीच, बेपोर बीच और अल्लपुज्झा बीच।
  • अल्लपुज्झा बीच
  • चवक्कड बीच
  • चेराई बीच
  • चेराई बीच
  • कप्पड बीच
  • कोवलम बीच
  • मरारी बीच
  • मेनकुन्न बीच
  • मुझापिलंुगड बीच
  • पेयंब्बलम बीच
  • स्नेहाथिरम बीच
  • कोल्लम बीच
  • थिरुमुल्लवरम बीच
  • शंगुमुघम बीच
  • वर्कला बीच

केरल का वाइल्ड लाइफ

केरल के वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में आपको लगभग सभी तरह के जानवर, समुद्री जीव और पक्षी मिलेंगे। कुछ बहुत दुर्लभ प्रजातियां भी आपको केरल में मिल जाएंगीं।

इनमें से कुछ जानवर हैं - नीलगिरी तहर, बाघ, तेंदुआ, हाथी, मकाक, हिरण, तिमलियां, पतंगे, केंकड़े, मडस्कीपर और अन्य कई। यहां देखने लायक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में चिन्नार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, पेरियार टाइगर रिजर्व, थटटेकड पक्षी अभयारण्य, एराविकुलम नेशनल पार्क, इडुक्की वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, वायनाड वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और कुमारकोम पक्षी अभयारण्य हैं।
  • चिन्नार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी
  • एराविकुलम नेशनल पार्क
  • कुमारकोम पक्षी अभयारण्य
  • पेरियार टाइगर रिजर्व
  • साइलेंट वैली नेशनल पार्क

केरल की यात्रा
केरल क¨ ”भगवान की अपनी धरती” के त©र पर जाना जाता है। यह पश्चिमी घाट¨ं अ©र अरब सागर के बीच में स्थित है। आज यह राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता की वजह से दुनिया के शीर्ष पर्यटन स्थल¨ं में शामिल है।

केरल की खूबसूरत धरती का अपना खास आकर्षण है। यह खूबसूरती पश्चिम में विशाल पश्चिमी घाट की पहाडि़य¨ं, हिल¨रे मारते हरे-भरे जंगल¨ं से ह¨ते हुए अरब सागर पर धूप-से नहाए समुद्री घाट¨ं तक पहुंचती है।

केरल की यात्रा आपक¨ नहर¨ं अ©र च©ड़े मुहान¨ं के जरिए बह रहे अप्रवाही जल के पास ले जाती है। पीछे छूटते धान के खेत¨ं, जूट के गांव¨ं, देहाती घर¨ं अ©र नारियल के पेड़¨ं के अद्भुत नजार¨ं क¨ गिनते हुए बस आगे बढ़ते जाअ¨। सुनहरे समुद्री तट¨ं पर अरब सागर का पानी आपके पैर¨ं क¨ ध¨ता है। यह एक चिरस्थायी अनुभव ही त¨ है। आप केरल की यात्रा पर आते हैं त¨ हरी मखमल में लिपटी क¨हरे से ढंकी च¨टियां अ©र चाय एवं काॅफी के बागान की आकर्षक खूशबू आपक¨ यह अहसास कराती है कि इससे बेहतर क¨ई जगह ह¨ ही नहीं सकती। राज्य के कुछ राष्ट्रीय उद्यान¨ं अ©र वन्यजीव अभयारण्य¨ं में जाना कैसे भूल सकते हैं। ह¨ सकता है कि वहां आपक¨ अपने आसपास के प्राकृतिक वातावरण में क¨ई दुर्लभ जीव नजर आ जाए।

जनसांख्यिकी
भौगोलिक स्थितिः भारत का दक्षिणी छोर, इसके उत्तर में कर्नाटक, पूर्व और दक्षिण में तमिलनाडु, दक्षिण में हिंद महासागर और पश्चिम में अरब सागर
लैटीट््यूडः 8 डिग्री 18’ और 12 डिग्री 48’ उत्तर
लाॅन्जीट््यूडः 74 डिग्री 52’ और 77 डिग्री 22’ पूर्व
इलाकाः 38,863 वर्ग किलोमीटर
जलवायुः गर्मियों में गर्म और उमस भरा और सर्दियों में सुहावना
अधिकतम तापमानः 33 डिग्री सेल्सियस
न्यूनतम तापमानः 22 डिग्री सेल्सियस
सालाना औसत बरसातः 311 सेंटीमीटर
राजधानीः त्रिवेंद्रम
आबादीः 3,18,38,619
भाषाएंः अंग्रेजी और मलयालम
धर्मः हिंदू, इस्लाम और ईसाई
यात्रा करने का अच्छा समयः अक्टूबर से मार्च
पहनावाः पूरे साल हल्का सूती
केरल कैसे पहुंचें
केरल कैसे जा सकते हैं, यह एक आम त©र पर पूछा जाने वाला प्रश्न है। महानगरीय नजर आने वाले आधुनिक अ©र प्रगतिशील राज्य केरल तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। यातायात की सभी प्रमुख प्रणालिय¨ं से केरल बहुत अच्छी तरह जुड़ा है। यह एक ऐसी जगह है ज¨ दुनिया के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल¨ं में शुमार है। क¨चीन अरब सागर में प्रमुख बंदरगाह है। पहला बड़ा दरवाजा ही कहिए। केरल की यात्रा कुल मिलाकर एक संपूर्ण अनुभव है। शिक्षाप्रद अ©र समृद्ध, तर¨ताजा अ©र संतुष्टि प्रदान करने वाला अनुभव।

भारतीय¨ं अ©र विदेशिय¨ं के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल केरल हर तरह से जुड़ा हैः

हवाई मार्ग सेः
राज्य में तीन विमानतल हैं- तिरुवनंतपुरम, क¨च्ची अ©र क¨जीक¨ड। इनमें से द¨ अंतरराष्ट्रीय विमानतल हैं। क¨जीक¨ड का कारीपुर विमानतल घरेलू उड़ान¨ं के लिए है, जबकि तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय विमानतल अ©र क¨चीन का विमानतल नेदुम्बसेरी घरेलू अ©र अंतरराष्ट्रीय द¨न¨ं उड़ानें संचालित करता है।

सड़क मार्ग सेः
केरल में सड़क¨ं का बेहतरीन जाल बिछा है। इससे क¨ई भी व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से से केरल तक आसानी से पहुंच सकता है। कर्नाटक अ©र तमिलनाडु द¨न¨ं ही राज्य¨ं से केरल का सड़क संपर्क है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 47, 17, 49 अ©र पक्की सड़क¨ं की एक मजबूत प्रणाली केरल क¨ देश के अन्य हिस्स¨ं से ज¨ड़ती है। यहां बसें, टूरिस्ट टैक्सी अ©र आॅट¨ परिवहन के मुख्य साधन हैं।

ट्रेन सेः
केरल में करीब 200 रेलवे स्टेशन हैं। यह स्टेशन केरल क¨ राज्य के भीतर अ©र बाहर, द¨न¨ं से ज¨ड़ते हैं। क¨ई भी व्यक्ति अपनी मनचाही जगह पर सुपर-फास्ट अ©र एक्सप्रेस ट्रेन से पहुंच सकता है। राज्य से भारत के सभी प्रमुख शहर¨ं के लिए ट्रेन चलती है। इनमें देश के चार¨ं महानगर - नई दिल्ली, मुंबई, क¨लकाता अ©र चेन्नई- भी शामिल हैं।

केरल में खरीददारी
”भगवान की अपनी धरती” भारत के सबसे अच्छे खरीददारी स्थल¨ं (शाॅपिंग डेस्टिनेशन) में से एक है। यदि आप यहां छुट्टियां बिताना चाहते हैं त¨ केरल में खरीददारी एक बड़ा आकर्षण है। स्वदेशी हस्तशिल्प यह साबित कर चुके हैं कि वह भीड़ खींच सकते हैं। अपनी पीठ पर बैग टांगकर चलने वाल¨ं क¨ ऐसी वस्तुअ¨ं की चाहत ह¨ती है, ज¨ सीमित संख्या में बनी ह¨, ज¨ उन्हें खास बनाए अ©र इस अप्रवाही जल की धरती पर उन्हें यह सब मिलता है। सूर्य अ©र नारियल की इस धरती के खूबसूरत हस्तशिल्प में आप संस्कृति, परंपरा, प©राणिक कथाएं अ©र स©ंदर्यशास्त्र के विलय की गहरी छाप सहजता के साथ देख सकते हैं।

नारियल के ख¨ल की प्यारी कृतियां, धातु जड़े लकड़ी के शिल्प, जूट के उत्पाद, सींग¨ं से बने उत्पाद, लकड़ी के नक्काशीदार उत्पाद, बांस के चटाई चित्र, धातु के बर्तन, कथकली के मुख©टे कुछ ऐसे ही हस्तशिल्प हैं, ज¨ हाथ¨ंहाथ बिकते हैं। यह हस्तशिल्प जिन जगह¨ं पर बनते हैं, वह जगह भी आपके यात्रा कार्यक्रम का हिस्सा ह¨ना चाहिए। दिमाग क¨ चकरा देने वाली प¨शाक, विविध रंग¨ं का बेज¨ड़ इस्तेमाल, बुद्धिमानी से गढ़ा स©ंदर्य, बेहतरीन अलंकरण अ©र केरल के हस्तशिल्प इस जीवंत धरती के सच्चे प्रतिनिधि हैं। केरल में छुट्टियां मनाने पहुंचने पर आपक¨ अद्भुत हस्तशिल्प¨ं के साथ-साथ सुगंधित मसाले अ©र जीवंत कपड़े खरीदने का म©का भी मिलेगा। मैप्स आॅफ इंडिया ने कुछ ऐसी ही वस्तुअ¨ं की सूची बनाई है, जिन्हें यात्री घर ल©टते वक्त भगवान की अपनी धरती की खूबसूरत याद¨ं के त©र पर अपने साथ ले जाना पसंद करते हैं। अधिक जानकारी के लिए ”खरीदने के लिए क्या उपलब्ध है”, पर क्लिक करें। केरल दक्षिण भारत में खरीदारी के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। कई जिल¨ं में आपक¨ हर जगह आकर्¢ड्स अ©र एम्प¨रियम मिल जाएंगे, जहां विविधता लिए हस्तशिल्प, मसाले अ©र कपड़े आपके लिए उपलब्ध ह¨ंगे। आप यहां लगने वाली प्रदर्शनिय¨ं में भी जा सकते हैं। वहां से आप अपने घर की साज-सज्जा बढ़ाने के लिए खूबसूरत हस्तशिल्प चुन सकते हैं।

केरल के होटल
केरल में सभी तरह के ह¨टल, रिजाॅट्र्स अ©र आयुर्वेदिक स्पा हैं। प्राकृतिक सुंदरता की वजह से केरल क¨ भगवान की अपनी धरती के त©र पर जाना जाता है। यहां सालभर घरेलू अ©र विदेशी पर्यटक¨ं की भीड़ लगी रहती है। सभी तरह के पर्यटक¨ं की आवास जरूरत¨ं क¨ पूरा करने के लिए केरल में कई ह¨टल अ©र रिजाॅट्र्स हैं। सस्ते से लेकर मध्यम-श्रेणी वाले अ©र फिर महंगे, केरल में सभी तरह के ह¨टल हैं। केरल के ह¨टल अ©र रिजाॅट्र्स में सभी आधुनिक सुख-सुविधाएं उपलब्ध हैं, ज¨ सभी तरह की पसंद-नापसंद अ©र पाॅकेट के अनुकूल हैं।

कर्नाटक

कर्नाटक

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पर्यटन 
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अपने खूबसूरत बागों के लिए राजधानी बंगलुरु, वृन्दावन गार्डन के लिए मैसूर, श्रीरंगपट्टनम, श्रवणबेलगोला, हम्पी, बेलूर, और पर्वतीय स्थल नन्दी हिल्स आदि कनार्टक के प्रसिध्द स्थल हैं । बादामी,ऐहोले, और पट्ताडकल जैसे स्थान चट्टानो को काटकर बनाये गये 1300 साल पुराने मन्दिर के लिए प्रसिध्द हैं । गुलबर्ग, बिदर, और बीजापुर प्राचीन स्मारको के लिए जाने जाते हैं । गोकर्ण, उडुपी, धर्मस्थल, मेलुकोट, गंगापुर, तथा सौदान्ति आदि प्रसिध्द तीर्थ स्थल हैं l मंगलूर और कारवाड़ जिलो के समुद्र तट पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र हैं। हम्पी और पट्टाडकल को विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है ।
राष्ट्रीय उद्यान
प्रमुख रष्ट्रीय उद्यान निम्नलिखित हैं – बंदीपुर टाइगर रिजर्व (मैसूर) (874.20 वर्ग किमी.) ; बान्नेरघट्टा बंगलुरु (104.27 वर्ग किमी.); कुद्रेमुख (दक्षिण कन्नड़ व चिकमंगलूर) (600.32 वर्ग किमी.); नागरहोल (मैसूर व कोडागू) (643.39 वर्ग किमी.)
प्रमुख पर्व और मेले
उगाडी, नागपंचमी, नवरात्री, रमज़ान, दीपावली इस राज्य के प्रमुख पर्व हैं। इनके अतिरिक्त श्रीविथाप्पा मेला, गोडाची मेला, श्रीशिडलिंगाप्पा मेला, गोडाची मेला और बनशंकरी देवी मेले का आयोजन धुमधाम से किया जाता है। कर्नाटक की कला, संस्कृती और लोकसंगीत को चित्रित करने वाले त्योहार है- दशहरा, हम्पी, चालुकय, कदंब, होयसाला, कोडागु व कारगा ।


कर्नाटक के आर्टिकल्स

विविध रंग कर्नाटक के
विविध रंग कर्नाटक के
भारत के बागों का शहर (गार्डेन सिटी) के नाम से मशहूर बेंगलूर देश की सूचना तकनीकी राजधानी भी है। यह परंपरागत द्रविड व आधुनिक वास्तुकला के बेजोड मेल का उत्कृष्ट नमूना है। बेंगलूर से 150 किमी दूर मैसूर भव्य महलों, विशाल क्षेत्र में... आगे पढ़े
अतीत का गौरव बीजापुर
अतीत का गौरव बीजापुर
कर्नाटक के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में बेलगांव के पास आदिलशाही राजवंश की राजधानी है। इसे बीजापुर के नाम से जानते हैं। इस छोटे से शहर में घुसते ही लगता है कि प्राचीन वास्तु के संग्रहालय में आ गए हैं। ईरानी शैली की इमारतें यहां... आगे पढ़े
अतीत के रंग में रंगा श्रीरंगपट्टन
अतीत के रंग में रंगा श्रीरंगपट्टन
मैसूर से करीब 16 किमी दूर कावेरी नदी में बने अंडाकार द्वीप पर बसा है श्रीरंगपट्टन। इस छोटे से शहर का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन जिस कारण यह शहर मशहूर है उसका प्राचीन इतिहास से कुछ लेना-देना नहीं है। शहर का महत्व भारतीय स्वतंत्रता... आगे पढ़े
जंगल में मंगल मनाना हो तो आएं
जंगल में मंगल मनाना हो तो आएं
बांदीपुर नेशनल पार्क अगर सैर-सपाटे पर जाना हो और मौज-मस्ती के साथ प्रकृति और विभिन्न जीव-जंतुओं के बार में सही जानकारी भी जुटानी हो, या कहें जंगल में मंगल मनाने का मन हो तो दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित बांदीपुर नेशनल... आगे पढ़े
कर्नाटक में छाए हैं उडुपि  रेस्तरां
कर्नाटक में छाए हैं उडुपि रेस्तरां
जिस तरह मुंबई बड़ा महानगर होने के बावजूद मराठी व और गुजराती संस्कृति का मिलाजुला भाव प्रस्तुत करता है वैसे ही बंगलौर की भोजन परंपरा पर तमिल, मलयाली और आंध्र प्रदेश का मिलाजुला प्रभाव है। आम उत्तर भारतीय को यह संस्कृति सिर्फ... आगे पढ़े
विरासत को सहेजने का नाम है बंगलौर
विरासत को सहेजने का नाम है बंगलौर
नए दौर में आधुनिक तकनीकी शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी के केंद्र के रूप में उभरता बंगलौर आजादी के बाद से ही शिक्षा का बड़ा केंद्र रहा है। मीडिया, प्रबंधन, विज्ञान व प्रौद्योगिकी के बड़े संस्थानों के अलावा  कला और संगीत के कई... आगे पढ़े
नृत्य के धाम में

नृत्य के धाम में
भारत की शास्त्रीय नृत्य परंपरा में कुचीपुड़ी का अपना अलग महत्व रहा है। इसकी प्रस्तुति वस्तुत: नृत्य नाटिका के रूप में की जाती है, जिसकी कथा तेलुगु भाषा में कही जाती है। धार्मिक आस्था से जुड़ा यह नृत्य पहले आंध्र प्रदेश के मंदिरों... आगे पढ़े
सुकून व सुगंध का शहर है मैसूर
सुकून व सुगंध का शहर है मैसूर
रोजाना सुबह-सबेरे हलकी मंद समीर में दो किलामीटर का भ्रमण करने के बाद मीनाक्षी ऑफिस के लिए तैयार होने में जुट जाती है। ऑफिस के रास्ते में गली के नुक्कड़ से वह सफेद, नारंगी, चमेली, मोगरा और कणकम्बरम के फूलों से बना गजरा लेकर केशों... आगे पढ़े

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश

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पर्यटन
यहां के मुख्य पयर्टन स्थलो में हैदराबाद में चारमीनार, सालारजंग संग्रहालय, गोलकुण्डा किला, वारंगल मे सहस्त्र स्तभ मन्दिर, नागार्जुनकोंडा में बौध्द स्तूप, तिरुमाला-तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मन्दिर, श्रीसैलम का श्रीमल्लिकार्जुनस्वामी मन्दिर और होर्सले पहाडिय़ा, इनके अलावा हैदराबाद व सिंकदराबाद को अलग करने वाले हुसैन सागर और उसमें लगाई गई बुध्द व 33 अन्य महापुरुषो की मूर्तिया भी दर्शनीय हैं ।
राष्ट्रीय उद्यान
आन्ध्र प्रदेश के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान निम्नलिखित हैं :
कासू ब्रहमा रेड्डी राष्ट्रीय उद्यान, हैदराबाद (1.42 वर्ग किमी.) महावीर हरीनावनस्थल राष्ट्रीय उद्यान, रंगारेड्डी (3.36 वर्ग किमी.) म्रूगवाणी राष्ट्रीय उद्यान, रंगारेड्डी (चितुर) (353.62 वर्ग किमी.) श्री वेंकटेश्र्वर राष्ट्रीय उद्यान (चित्तूर) (353.62 वर्ग किमी.)
प्रमुख पर्व और मेले
दीपावली, दशहरा, महाशिवरात्री, रामनवमी, गणेश चतुर्थी और महाशिवरात्री इस क्षेत्र में मनाये जाने वाले प्रमुख पर्व हैं।  उगादी (तेलुगु नव वर्ष) दशहरा और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार यहां पर बडी धूम धाम से मनाये जाते हैं ।

आंध्र प्रदेश के आर्टिकल्स

गुफाओं  का मायासंसार
गुफाओं का मायासंसार
यह धरती अपने में जो अनगिनत रहस्य समाए हुए है, उन्हीं में से एक हैं गुफाएं। यह गुफाओं की अनोखी संरचना ही है जो वे हमेशा तिलिस्म या मायावी कथासंसार का प्रमुख पात्र रही हैं। 

इतिहास का एक पन्ना हैदराबाद
आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में कदम रखते ही आपको एक ओर इतिहास की गलियों में घूमने का एहसास होगा और दूसरी तरफ तकनीकी ऊंचाइयों को छूती आधुनिकता आपको असमंजस में डाल देगी। नई-पुरानी संस्कृति के संगम के रूप में उभरता हैदराबाद... आगे पढ़े
नृत्य के धाम में
नृत्य के धाम में
भारत की शास्त्रीय नृत्य परंपरा में कुचीपुड़ी का अपना अलग महत्व रहा है। इसकी प्रस्तुति वस्तुत: नृत्य नाटिका के रूप में की जाती है, जिसकी कथा तेलुगु भाषा में कही जाती है। धार्मिक आस्था से जुड़ा यह नृत्य पहले आंध्र प्रदेश के मंदिरों... आगे पढ़े
हैदराबाद जाएं तो फिल्मसिटी जरूर घूमें
हैदराबाद जाएं तो फिल्मसिटी जरूर घूमें
पर्यटन के लिए वैसे तो हैदराबाद अपने-आपमें आकर्षक शहर है,  पर वहां पहुंचने के बाद कोई रामोजी फिल्मसिटी न देख सके तो उसका घूमना अधूरा रह जाएगा। फिल्मों की शूटिंग का यह केंद्र अपने भीतर पर्यटन के भी कई आयाम समेटे है। यहां कुदरत... आगे पढ़े
बहुआयामी पर्यटन स्थल रामोजी फिल्म सिटी
बहुआयामी पर्यटन स्थल रामोजी फिल्म सिटी
रोजमर्रा की जिंदगी से जब मन उचटने लगता है, तो किसी ऐसी जगह जाने की इच्छा होती है, जहां कुछ नया, कुछ अलग हो और कुछ दिन परिवार समेत आराम से मौजमस्ती की जा सके। ऐसे में कोई उस स्वप्नलोक का पता बता दे जहां खुली आंखों से ही जाना संभव हो,... आगे पढ़े
शिल्प में दर्ज अतीत सुनहरे दौर का
शिल्प में दर्ज अतीत सुनहरे दौर का
भारत के इतिहास में कई राजवंशों ने अपने स्थापत्य शिल्प की अमिट छाप आने वाली सहस्राब्दियों के लिए छोड़ी है। दक्षिण भारत का विजयनगर साम्राज्य ऐसा ही एक बड़ा राज्य रहा है, जिसके अमूल्य निर्माण आज भी हमारी सभ्यता की महत्वपूर्ण... आगे पढ़े
विशाखापट्नम: अनछुआ है सौंदर्य जिसका
विशाखापट्नम: अनछुआ है सौंदर्य जिसका
तीन दिशाओं से समंदर से घिरे हमारे देश की हजारों मील लंबी तटरेखा पर सैकड़ों मनोरम बीच हैं। लेकिन पर्यटकों का ध्यान कुछ खास सागर तटों पर जाकर ही ठहर जाता है। हमने तय कर लिया था कि बार-बार उन्हीं तटों के दृश्य निहारने से बेहतर है... आगे पढ़े
आंध्र प्रदेश: इतिहास जैसे जीवित है यहां
आंध्र प्रदेश: इतिहास जैसे जीवित है यहां
दक्षिण के पठारी क्षेत्र में स्थित आंध्र प्रदेश देश की पूर्वी तट रेखा तक फैला है। पर्यटकों के आकर्षण के लिए वैसे तो यहां बहुत कुछ है, पर इनमें हैदराबाद और विजयवाड़ा का अपना अलग ही महत्व है।

Thursday 14 July 2016

गुजरात का नल सरोवर

गुजरात का नल सरोवर है सैलानी परिंदों की जन्नत

गुजरात का नल सरोवर भारत में ताजे पानी के बाकी नम भूमि क्षेत्रों से कई मायनों में भिन्न है। सरदियों में उपयुक्त मौसम, भोजन की पर्याप्तता और सुरक्षा ही इन सैलानी पक्षियों को यहां आकर्षित करती है। सरदियों में सैकड़ों प्रकार के लाखों स्वदेशी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। इतनी बड़ी तादाद में पक्षियों के डेरा जमाने के बाद नल में उनकी चहचाहट से रौनक बढ़ जाती है। नल में इन्हीं उड़ते सैलानियों की जलक्रीड़ाएं व स्वर लहरियों को देखने-सुनने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां प्रतिदिन जुटते हैं। पर्यटकों के अतिरिक्त यहां पक्षी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, शोधार्थी व छात्रों का भी जमावड़ा लगा रहता है तो कभी-कभार यहां पर लंबे समय से भटकते ऐसे पक्षी प्रेमी भी आते हैं जो किसी खास पक्षी के छायाचित्र भी उतारने की तलाश में रहते हैं।
अनूठा है नल 

नम भूमि क्षेत्र नल सरोवर अपने दुर्लभ जीवन चक्र के लिए जाना जाता है जिस कारण यह एक अनूठी जैवविविधता को बचाए हुए है। नल का वातावरण अनेक प्रकार के जीव जन्तुओं के लिए उपयुक्त है और एक भोजन श्रृंखला बनाता है। मूलत: यह वर्षा जल पर आश्रित एक नम क्षेत्र है। गर्मी में जब यह सरोवर सूखने के कगार पर होता है तो मानसूनी वर्षा इस सरोवर को नई जिंदगी देती है। इसके जलग्रहण क्षेत्र में वर्षा इसे लबालब कर देती है। बरसात की समाप्ति के बाद लगभग मृत प्राय: इस सरोवर में धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर लौटने लगती है। प्रारंभ में पहले इसमें सूक्ष्मजीव पैदा होते हैं उसके बाद छोटे कीट-पतंगे पैदा होते हैं या आस-पास से आकर यहां शरण लेते हैं। वातावरण की अनुकूलता के साथ आस-पास से व जमीन में बचे रह गए अंडों से कई प्रकार का जलीय जीवन तेजी से विकसित होता है। इनमें अनेक प्रकार की मछलियां उत्पन्न होने लगती हैं जिनकी संख्या तेजी से बढ़ने लगती है।

मछलियों का लालच पक्षियों को यहां आकर्षित करता है। आरंभ में यहां छोटे पक्षी ही आते हैं किन्तु जब नवंबर में मछलियां बड़ी हो जाती हैं तो भोजन की प्रचुरता व उचित वातावरण पाकर प्रवासी जल पक्षी भी यहां आने लगते हैं। दिसंबर व जनवरी में इनकी संख्या अधिकतम होती है। फरवरी के अंत में नल में भोजन व जलस्तर में कमी व गर्मी के बढ़ने के चलते मेहमान पक्षी अपने मूल घरों को लौटने लगते हैं। मार्च में जब क्षेत्र में पारा 40 डिग्री तक पहुंच जाता है तो नल के जल स्तर तेजी से कम होने लगता है। मई का अंत आते सरोवर का क्षेत्रफल पानी के सूखने से काफी कम हो जाता है। इससे उसमें मौजूद जीवन समाप्त प्राय: होने लगता है। गर्मी के बाद प्रकृति बदलती है और एक बार फिर से वही जीवन चक्र शुरू हो जाता है।  नल एक खास प्रकार की जैवविविधता को बचाये है। इस सरोवर में पिछली पक्षी गणनाएं बताती हैं कि नल में पक्षियों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। वर्ष 2002 में हुई गणना के मुताबिक यह संख्या 1.33 लाख थी। वर्ष 2004 में यह 1.84 लाख रही तो वर्ष 2006 में यह संख्या 2.52 लाख रही। वर्ष 2006 में बत्तख व हंसों की संख्या 1.19 लाख व क्रेक्स, रेहस व कूट की संख्या 82 हजार थी। इस सरोवर में प्रसिद्ध फ्लेमिंगो की संख्या 5820 आंकी गई।
कल का सागर आज का सरोवर
गुजरात के अहमदाबाद व सुंदर नगर जिलों से सटा नल सरोवर अभयारण्य अहमदाबाद से लगभग 65 किमी की दूरी पर है। सरोवर क्षेत्र में छोटे-बड़े कुल 300 तक टापू हैं जिनमें से 36 ऐसे बड़े टापू है जिनके अपने स्थानीय नाम हैं। नल की संरचना के बारे में भूगर्भवेताओं का मानना है कि जहां पर आज नल सरोवर है वह कभी समुद्र का हिस्सा था जो खंभात की खाड़ी को कच्छ की खाड़ी से जोड़ता था। भूगर्भीय परिवर्तनों से जब समुद्र पीछे चला गया तो यह एक बन्द संरचना में बदल गया। वर्षाकाल में जब यह भर जाता है तो 120 वर्ग किमी क्षेत्रफल की विशाल उथली झील में बदल जाता है। आकार में तब भले ही यह विशाल लगता हो किंतु इस सरोवर की गहराई अपने सर्वाधिक विस्तार के समय भी 2.5 मीटर से अधिक नही होने पाती है। इसका कारण यह है कि इससे अधिक मात्रा में जल इस बेसिन से बाहर बह निकलता है। शीतकाल आते-आते यह स्तर घट कर 1 से 1.5 मीटर तक रह जाता है।

Monday 11 July 2016

Ladakh – Your complete planning guide

Ladakh – Your complete planning guide

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So planning your next Ladakh trip is it?


You are in for some wonderful times and thrilling adventures. But before we get into the how’s and what’s and why’s, there are some very important notes need to be adhered to and it is a must for anyone who has his or her eyes set on this wonderful landscape. You may have so many questions, concerns and issues that are related to the approach, the climate, the permits and the itineraries itself.






For all those adventurous spirits and nature lovers, Ladakh has loads to offer. It’s closely located in the Trans-Himalayan region. Tourists from all over the world prefer this landscape with the aim of exploring not just the vast expanse the place has to offer but to reclaim their inner soul. There are abundant regions that are thriving in natural treasures. And besides these Ladakh is also famously dubbed as Little Tibet for the boundary it shares with Tibet and playing host to quite a heavy population of Tibetan Buddhists.

No matter what gets written about Ladakh, you are bound to come back with much more memories than what you find on the internet. The experiences are phenomenal and vivid. You will definitely need to take some safety measures since you will be mostly exploring a barren land that has low atmospheric pressures. May to August are the peak seasons to traverse Ladakh and with the aim to provide a first-hand info on this wonderful land you will need some basic and some very important tips that will help you in planning your trip well.

Getting familiar in Ladakh

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If you have been to a similar mountain range or a high altitude place then you would be well aware of the climatic conditions. For the newbies, you seriously need to plan your trip well and here’s how:

The overall idea is to not rush into anything while planning your trip. Give yourself proper time to plan for your trip. It’s highly recommended to keep the first two days, once you reach Leh, to get used to the high altitude condition. During your stay you can explore local monasteries and palaces and other smaller detours like Thiksey, Hemis, Shey, Nimoo and Stok etc. Don’t rush into anything. Stay cool and take one thing at a time. You may have planned to go to Nubra and Pangong post reaching Leh. Don’t rush into that.


There is a very high chance that you may get acute mountain sickness or simply called Acute Mountain Sickness (AMS) hence please keep these points in mind:
– You need to be physically fit whilst undertaking a trip to Ladakh
– Gradually increase your altitude and ensure to compensate your ascension with rest at various places while acclimatizing.
– After reaching Leh, It is imperative that you take between 24-36 hours of rest, since it is a low atmospheric pressure zone.
– If you are someone who has heart problems, asthma, blood pressure problems then it is highly recommended to abstain your travel to Ladakh
– Drink only as much water as your body demands. Do not overdo in terms of drinking water. Dehydration does not necessarily lead to AMS
-Keep yourself warm with clothes that are comfortable. Keep your head covered.
– Don’t over exert yourself physically at any point of time.
– Contain your excitement and do not run here and there in the passes (It is tough but yes, you have to hold on to your feelings keeping your safety in mind.)
– As you scale higher and higher the low levels of oxygen might cause nausea and shortness of breath.
– There are some medicines available like Diamox available locally. A time tested and a natural alternative is garlic soup or any other lighter soup that has garlic in it
– In case you see any warning signs such as headaches, nausea, dizziness and fatigue, immediately take rest and descend down if you are on high altitude (Such as Khardung la Top). Do not wait
– Avoid smoking and drinking alcohol on high altitude. These are major causes of AMS
– Lastly avoid sleeping during daytime.

Let’s pack for the Trip




Some clothing and basic necessities



Ladakh is situated in Greater Himalayas which is icy and at a high altitude. As soon as you cross Keylong (Leh-Manali -Highway) you will see a visible change in weather conditions as well as the landscape. You will notice these apparent changes when you cross Zoji La on Leh-Srinagar Highway. Traveling at such altitude during days will provide ample warmth and ample sun shine. It rarely rains in the Ladakh region. A simple pullover or a jacket during day time can be fine but as soon as it’s dawn the temperature can even reach zero. The evening is generally when people rest inside their accommodation. Accommodations all along the route are warm enough. You can even sleep in tents and quilts are provided by the owners.




Pack these things when you are traveling to Ladakh:



– A minimum of 2 jackets and 2-3 pullovers
– A pair of hand gloves preferably woollen
– Warm clothes/caps to basically cover your ear and necks especially if you are a rider
– Soaps and towels
– Sun caps
– Equip yourself with important medicines and first aid kits
– Medicines like Avomine, Diamox to counter AMS etc
– Few pairs of inner thermo clothes
– Minimum 4-5 pairs of socks
– Waterproof shoes for trekking and riding in case you are a biker as you may face water streams on high mountain passes like Chang La, Baralacha la etc
– A warm sleeping bag in case you want to camp somewhere on your way
– Camera, battery chargers
– Cell phone and chargers
– UV protection goggles and sunscreen lotion- SPF 30 and above
– Water bottles and lots of energy bars, chocolates, biscuits and fruits.




Here are some packing essentials in case you are biker (in addition to the above things):



– Have a good pair of rain coats as you may face rain after crossing Chandigarh and before you cross Rohtang La pass on the Leh-Manali highway until you reach Zoji La
– You can even use your raincoat to help keep your clothes clean from all the dirt and grime while you are on the passes and the Moore plains.The cloud of sand and dirt gets becomes a lot especially when an army convoy is passing and when you are crossing passes on which overtaking takes trucks and other vehicle takes longer due to narrow roads
– Water proof gloves
– Medical kit is a must
– Boots to keep your feet, shoes and socks from getting wet mainly at water stream flowing on passes especially the one at Baralacha La which is one of the most vicious another tough water stream to cross is at Chang La. (Do not cross the stream from middle.Keep your bike in first gear.Use clutch to maintain traction and throttle)
– These are absolute must haves especially if you are a biker: Spare tube, puncture kit, clutch wire, break wire, chain lock, gear oil, engine oil, spark plugs and a toolkit are a must pack in your bag
– Also carry petrol jar if you are taking the Leh-Manali Highway as the last petrol pump that you’ll find is at Tandi which is around 380 Kms before you find the next at Karu. So 10-20 liters of extra petrol are recommended for you to carry. Puncture shops are also not available and even if you find one, there is no guarantee that they will have the tube hence a tube is a must pack item even if you don’t have puncture kit
– If possible, having a four wheeler is always advisable.




A quick peek at Innerline Permit(ILP) form


Some fields are mentioned below that you may need to fill in order to obtain innerline permits at the District Collector (DC) office in Leh.

Getting Innerline Permits for Indians and Protected Area Permits for Foreign Travelers




If you have plans to visit some interior areas like Turtuk, Panamik, Khaltse, Pangong, Changthang, Hunder, TsoKar and TsoMoriri etc. in Ladakh even Indian residents need to obtain innerline permits.

Overseas travelers (with the exception of residents of Burma, Bhutan, Nepal and Pakistan) need to obtain Protected Area Permit (PAP) to visit the above places. In case of foreigners, the permit is issued only for a group with four or more foreign tourists. For foreign tourists, it is also mandatory to go through a registered travel agent in order to obtain the Permit. The travel agent will also help you group together with others in case you are traveling solo or couple so that your permit could be obtained.
For Indian nationals, innerline permits are valid for a maximum of three days and PAP is issued for a maximum of seven days. In case you are planning on a visit to more remote areas, you will have to reapply for the same.

In case of foreign tourist’s PAP, they need not travel in the same group or with their agent which is mentioned in the permit. You do not require inner line permits if you are traveling to Suru and Zanskar Valley. Foreign visitors can’t go beyond Merak Village in Pangong or Mahe Village in the Changthang.
To acquire application forms for obtaining the permit you can easily access them at the stationary shop just behind the Leh DC office. The office opens at 9:00 am and stays open until 3:00 pm only. It remains closed during Sundays and National holidays. It’s highly recommended to reach the office as early as possible. This way you can avoid the rush and have a hassle free permit. The fee required is Rs. 200 per person and environment tax plus Rs. 20 per person per day as wild life protection fee and Rs. 10 for donating to the Red Cross.
“Do not forget to carry your original valid identifications like Passport, UID, Voters ID, Driving license etc”.
A single person can apply for his or her entire group provided they carry the attested copies of proffer of nationality for all the members in the group.

Anyone (like the hotel you are staying in or a travel agent) could organize for your innerline authorization and even fax or email them to you before your arrival in Leh so that you could go straight to Tso Moriri and Pangong before arriving in Leh provided you don’t mind sharing the photocopies of your citizenship proof with them either via email or fax. Keep in mind that you also need to mention the name of hotel in Leh where you are staying.
Mention all the places that you will be traveling in the permit. After acquiring the permit make sure that you carry minimum 4-5 copies of the permits and photo id proof. You may need to submit them at various check posts by the military personnel who track entry and exit at certain points to check if a tourist has returned or not. It’s more for your own safety as one may get stranded during trek or may get stuck due to bad weather conditions.

Your stay in Ladakh




Luxury hotels are a rare in Ladakh due to the nature of the region and accommodation are generally limited with small to medium sized units. There’s only one luxury hotel in Leh town which is the Grand Dragon. There are lots budget and deluxe facilities with some basic amnesties like hot running waters and attached western toilets.

Due to the conditions and nature of leh Ladakh region, luxury hotel properties or accommodation are not available in the region. There’s one luxury hotel in Leh Town by the name of the Grand Dragon. At other places you’ll find budget and deluxe or even luxury tents and camps some with basic facilities and some with running hot waters and attached western toilets.

Homestays are easily available at most of the places with some basic facilities and would cost approximately Rs. 150-200 per person for the night but these are difficult to find during the peak season. Luxury camps with attached toilets and running hot water will cost you between Rs. 3000-5000 for two persons. You can also book your accommodation in advance through the internet or by calling the hotels and camp providers or may check in upon arrival as Ladakh is not one of the places which has those ”peak seasons” when the rooms are fully booked in advance.

Bikers Accommodation (Leh – Manali and Leh – Srinagar Highway)





If you are a biker, you are sure to get accommodations along the route of both Leh-Manali and Leh-Srinagar highway. You have to allow yourself time to acclimatize while taking the Leh-Manali highway, you will find accomodations at the Keylong, Jispa, Sarchu and Darcha areas. Most bikers have found to be staying at Sarchu camps. Avoid crossing the Balalacha La in case you have arrived at the Zingzing bar in the late afternoon. You will find strong water currents which crosses the road and this could get very dangerous. You should return to Darcha or Jispa or stay at Pang. Pang and Sarcha are elevated locations (Both 14,000+ heights) so avoid yourself getting AMS. In face Jispa or Darcha are better options with elevations upto 10,000-11,000 only.

Have a stopover at Mulkbeh instead of Kargil or Lamayuru in case you are riding from Srinagar. The prices in Kargil are very high.

Petrol Pumps


It is very important to know the petrol pumps if you are travelling by road or even biking. You need to keep reserve petrol in cans so equip yourself with them so you don’t get stranded without fuel. The final station you will find is in Tandi and the next one is in Karu which is almost 400 km away.

If you are planning Leh-Pangong-TsoMosriri-Rumtse-Leh or Leh-Nubra-Pangong-Leh which is almost 700-900 km then equip yourself with a good capacity of petrol in reserve.

You may be surprised to find fuel being available at some shops, roadside residences etc but there the costs are higher than the standard petrol pumps. Still keep this option open when you are around these areas.
En route the Leh-Srinagar Highway you will find enough petrol pumps and this should definitely keep your spirits higher.

ATM options in Leh Ladakh



You may find credit card facility options in few antique shops but that’s about it. Hotels, travel agents etc do not accept credit cards at all. If you find it risky to carry cash, equip yourself with plastic money i.e debit cards. You can withdraw money from ATMs as per your requirement. Several banks like PNB, SBI, Axis, J&K bank etc have their ATMs installed in several locations in Leh town. More interior places like Pangong, Changthang etc do not have ATM facilities so carry a good amount of cash. Also while stacking up you cash in your bag or jacket, make sure to stacking them in various places and know well how much you have. It is better to avoid keeping all of them in a single place as that could invite you unwanted trouble.

General travel tips


– Respect the local culture:  Always show a good respect towards other cultures when you are on your travel trips. Tibetan Buddhist culture is from the ancient times. Always show utmost respect towards the local people. Dress appropriately. Cover yourself well. Before taking any photographs, seek permissions
– Communication facilities: Most markets in Ladakh have STD booths but they close down before 10:00 pm. In Kargil you will find global direct calling telephone facility, telegraph facility. Wireless radio phone network services of J&K tourism station with various filed stations at Leh, Padum and Kargil. During the peak season starting from May to August, J&K tourism establishes mobile wireless stations in remote areas too. Prepaid sim cards do not work here
– Avoid using plastic bags: Both locals and tourists have a responsibility towards maintaining the environment hence, do not litter around the place. Plastics are officially banned in Ladakh and hence it is better to avoid using polythene bags
– Carry proper documents: Always carry all your travel documents, permits, licenses, identity cards etc. There are lots of passes like Changla Pass, Zojila Pass, Fatula Pass and Khardungla Pass where they have a huge military presence. Make sure to make copies of all the documents and IDs and keep them safely in your bag since you may never know when you will need them
Do your research well while planning your Ladakh trip with leh ladakh tour guide. You will find various blogs, travel sites etc who will have loads of information. Read them well and make proper notes concerning that. You can even check ladakh India.com for further information on local attractions and other local information.